लेखनी कविता - छोटे और बड़े - बालस्वरूप राही
छोटे और बड़े / बालस्वरूप राही
राम नहीं थे साधारण नर
वह तो थे भगवान,
किंतु काम आए थे संकट
में उनके हनुमान।
थे हनुमान राम के सेवक
उनके भक्त अनन्य,
उनके कारण पूजे स्वयं भी
हुई साधना धन्य।
यह मत सोचों, जीवन छोटा
का होता है व्यर्थ,
उनके बिना नहीं पा सकते
अपना लक्ष्य समर्थ।
जी छोटा मत करना यदि तुम
बन पाओं न महान,
बन जाओ यदि बड़े, न करना
छोटों का अपमान।